आशा और विश्वास - by Dr. Shiralee Runwal


गर जीवन में हो आस 

व मन में हो विश्वास ,

हर ज़र्रा खुदा बन जाए ...

कालकूट सुधा बन जाए  ! 


आसमान को नाप सको तुम 

सागर-तल को माप सको तुम 

तड़ित दामिनी राह दिखाएं 

चक्रव्यूह का भेद सिखाए  !


बादल फट कर प्यास बुझाए 

भंवरडोल खुद मार्ग सुझाए 

सूरज निज गर्मी से पिघले 

स्वर्ण-बिंदु बन सीकर निकले  !


शीतलता दे चांद की प्याली 

तारक-मंडल, मौक्तिक थाली 

हिमखंडों का दर्प जो टूटे ...

चट्टानों से निर्झर फूटे  !


बरखा छाए इंद्रधनुष बन 

भीग न पाए फौलादी तन 

बहती लू के गर्म थपेड़े 

अंध-मोड़ भी टेढ़े मेढ़े 


दिल में भरें उजास 

सब कुछ आए रास 

बस जीवन में हो आस 

व मन में हो विश्वास !


आशा को ये आशा थी ,

विश्वास कभी तो होगा ...

सपना भी दृढ़ संकल्पों का 

दास कभी तो होगा 


दोनों की तब युग्म-युति ने 

दिया सृजन को जन्म 

सूर्यकिरण -सा साथ निभाया ...

बिछुड़े ना आजन्म !!


Writer:- Dr. Shiralee Runwal 

From:- Gwalior, M.P. (India)

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