स्वदेश प्यार दे चलें - by Ravindra Varma
जगें , बढ़ें सुमार्ग पर , स्वदेश प्यार दे चलें ।
नया पढ़ें , नया गढ़ें , नये विचार दे चलें ।।
यही महान कार्य है , प्रबुद्ध लक्ष्य को बना ,
चलें , बढ़ें , गिरें , उठें , सशक्त धार दे चलें ।
प्रवीण वीर ही जियें , विशाल देश के लिए ,
थमे न राष्ट्र भावना , सुकर्म भार दे चलें ।
सबुद्धि , भारतीयता , हमें सदा निखारती ,
बहे सनातनी सुधा , सुबोध सार दे चलें ।
न मात खा सकें कभी , लड़ें प्रगाढ़ शक्ति से ,
न शत्रु पार पा सके , महा प्रहार दे चलें ।
बनें सदा महा रथी , जवान वीर साहसी ,
सजीव क्रांति भाव से , अचूक ज्वार दे चलें ।
रुके न चहुँमुखी प्रगति , नवीन विश्व में बढ़ा ,
सुकीर्ति भव्य भारती , नयी बहार दे चलें ।।
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