तेरी मेहनत ही तेरा कल हैं - by Lokesh Kumar Upadhyay ( Motivational, Motivational Kavita, Motivational Poem )
तेरी मेहनत ही तेरा कल हैं
अनमोल तेरा हर पल हैं,
गर क़िस्मत के भरोशे बैठोगे
हर क्षण बकलोल ही बकलोल हैं,
क़िस्मत उनकी भी होती हैं
जिनके हाथ नहीं होते,
गर सोचने भर से मिलते
तमन्नाओं के शहर,
खाली अब तक
कोई कोना नहीं होता,
तू कल भी अकेला था,
तू आज भी अकेला हैं !
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करनी होगी मेहनत
सफल होना चाहता हैं,
ये 21 वी सदी हैं
यहाँ मेहनत ही सब कुछ हैं,
जन्मकुंडली के भरोसे
उजड़ते हैं ख्वाबों के चमन।
महकाना चाहते हो,
बगिया जीवन की,
तपना भी होगा
धीरज भी रखना होगा।
मेहनत से बदलती हैं
क़िस्मत फ़क़ीरों की,
खुशियों से महकता हैं अँगना,
हर दिन गुजरता हैं त्योहारों-सा
बस गुज़ारिश हैं
मेहनत करने की,
अपने आप खिल जाएंगी
फिर से मुरझाई हुई कलिया,
ये उपाध्याय टूटने नहीं देगा
हौसला कभी भी किसी का .....
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