लड़कियाँ- पीपल सी होती हैं - by Lokesh Kumar Upadhyay


लड़कियाँ- पीपल सी होती हैं,

उगाई नहीं जाती,

उग जाती हैं अपने आप!

और बढ़ने लगती हैं

दूनी रफ़्तार से,

इनके गुणों का बखान

होता हैं पीपल की तरह,

पेड़ बनकर जब छांव देता हैं।

उसी तरह लड़की भी

जब बनकर महिला,

देती हैं पीपल- सी छांव

और छोड़ अपने पुराने

आशियाने को,

जाती हैं बसाने नया आशियाना

और करती हैं उसका

पुनर्निर्माण.....

साहब ये लड़कियां ही होती हैं,

कहने को अबला 

लेकिन होती हैं,

पुरुषों से बलवान

'रूखा-सूखा' खाकर 

सदा खिली रहती हैं।

अपनो की खुशियों में

भुला देती ख़ुद का ग़म,

आख़िर लड़कियाँ,

लड़कियाँ ही होती हैं

पीपल-सी छांव सदा 

रहती हैं आँचल में उनके!

कोयल सी बोली,

कोख़ से वंश बढ़ाती हैं

साहब ऐसी होती हैं

लड़कियाँ,,,

जिनको कोख़ में

ही मार दिया जाता हैं.....




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