कहाँ गया आज वो बचपन - by Vijay Kumar Tiwari "Vishu"
कहाँ गया आज वो बचपन,
था गोद जिसे कल तक भाता।
टीवी से वो चिपक गया है,
नहीं कहीं कुछ रास है आता।।
डब्लू-बब्लू रास हैं आता,
डोरेमान दिल है बहलाता।
वीर शिवा की वीर कहानी,
अब नानी को भी नहीं आता।।
बचपन की वो यादें अब भी,
मेरे मन को हर्षाते हैं।
ख्वाबों में बाबूजी अब भी,
कंधे पर लाद घुमाते हैं।।
आज का बचपन माँग रहा है,
खुली आजादी जीने की।
पिज्जा ,बरगर ,चिप्स चाकलेट,
जिद्द करते नित पाने की।।
आज भी मुझको नहीं भुलता,
मामा का आना रातों में।
दूध-भात से भरा कटोरा,
चट करना बातों बातों में।।
रामू ,रानू ,चिंटू -पिंटू का,
खेल निराला बचपन का।
दौड़, कबड्डी, गुल्ली-डंडा,
रेल निराला बचपन का ।।
भौतिकता जो लील गई है,
समय निराला बचपन का।
बस्तों से दब सिंसक रही है,
प्यारी मुस्कान वो बचपन का।।
है कोई जो लौटा सकता,
वो प्यारा जीवन बचपन का।
दिल चाहे फिर से पाना,
वो स्वर्णिम जीवन बचपन का।।
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