एक नन्हीं कली - by Lokesh Kumar Upadhyay
सुन ओ री चिरैया,
नन्हीं सी चिडियाँ
उड़ के आ हमारे अँगना
तेरे बिना सूनी पड़ी
पेड़ की डारी
तेरे चहक की गूँज के बिना
तरस रहे कर्णपटु हमारे,
सूनी हो गई बगिया
आँगन की हमारी,
तेरे रँगीले परों को
देखने को
तरस रहे चक्षु हमारे,
सुन-री चिरैया
आ जा हमारे अँगना !
जिया ना लागे,
छटपटाऐं हिया
देखे बिना तेरी
नटखटी अदा !
नन्हीं- सी चिरैया आजा,
अब तू
गरे लग जा हमारे,
तेरे आने से
थम जाए दरिया
नेणों की ,
तेरी चहक से
महक उठे अँगना
घर का हमारा,
हम तुझे नाजों से पालेंगे,
सदा बिठाए रखेंगे
पलकों पे हमारें,
तेरा बसेरा होगा
ज़ुल्फो के साये में,
अब तू देर ना कर
चिरैया आ जा,
नन्हीं - सी चिडियाँ आ जा।
No comments