हरदम अच्छा सोचो ! - by Dr. Priya Rajeev
स्याह रात के बाद ही आते
सबसे हंसी सवेरे
एक किरण से मिटे अंधेरा
जब मुश्किल आ घेरे !
सुख बांटने से बढ़ता है
दु:ख बांटने से घटता
घना कुहासा वक्त बीतते
अपने आप ही छंटता !
दीया भी बुझने से पूर्व
एक बार तो झपके,
भाग्यहीन वह इंसां जो
कर्म-फल ना लपके !
तूफान से पहले खामोशी
मौका दे तैयारी का,
मन बना लो यारो जग की
मुसीबतों से यारी का !
हर आफत की होती मित्रो
आखिर इक एक्सपायरी डेट,
कितनी भी कठिनाई हो
रखकर धीरज, करना वेट !
अच्छा सोचने वालों के संग
सब कुछ अच्छा होता,
नकारात्मक ऊर्जा वाला --
दिन भर दुखड़े रोता !
Writer:- Dr. Priya Rajeev
From:- Gwalior, M.P. (India)
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