जीत का जुनून - by Dr. Arvind Premchand
घोर तम का हरण करे जो
दिए का दुस्साहस देखो,
खुद से दुगना बोझा ढोती
चींटी का भी साहस देखो।
बारंबार जाल को बुनती
जोशो-जिद मकड़ी की, वाह!
भट्टी की अग्नि में तपते
कुन्दन से निकले ना आह।
जज़्बे से लबरेज पतंगा
डरता नहीं शमा की लौ से,
रणभूमि में वीर बाँकुरा
एक अकेला निपटे सौ से।
लघुता में गुरुता की इससे
बेहतर मिलती नहीं मिसाल,
बूँद- बूँद से घड़ा भरे ज्यों
तारों से अम्बर का थाल।
हौसलों-हिम्मत के आगे
खड़ा हिमालय झुक जाए,
बुलंद इरादों से इन्सां ने
इन्दु पर भी कदम जमाए।
शौर्य- पराक्रम की परिभाषा
शब्दों की न है मोहताज,
दमखम के बेताज नवाब...
करते हैं दुनिया पर राज।
Writer:- Dr. Arvind Premchand
From:- Gwalior, M.P. (India)
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