प्रतिभा परिचय की मोहताज नहीं - by Sarita Singh
वर्षा ने तो रास्ता कंपनी से बाहर का दिखाया था अपने अभिमान में लेकिन उस बाहर के रास्ते ने सीमा की जिंदगी बदल दी...
शहर की एक टेलीकॉम कंपनी ने नव युवक युवतियों के लिए नौकरी का इश्तेहार निकाला । छोटे कस्बे की सीमा भी वहां इंटरव्यू के लिए पहुंची ।वैसे तो सीमा ने स्नातक सरकारी स्कूल से किया था लेकिन वह बहुत ही टैलेंटेड थी । इंटरव्यू में उसका चयन हो गया ।
उस टेलीकॉम कंपनी की सभी कार्यों को उसने बहुत जल्दी ही सीख लिया ।आवाज में भी बहुत मधुरता थी और ग्राहकों से बात करने का तरीका बहुत अच्छा, इसी कारण दफ्तर के सभी कर्मचारी उसकी प्रशंसा किया करते ।
कंपनी में केवल एक टेलीकॉलर का पद था लेकिन जल्दी ही उसे प्रमोशन मिल गई । एक म्यान में दो तलवारें कहां रह सकी । सीमा की प्रसिद्धि एचआर मैनेजर वर्षा को फूटी आंख नहीं सुहाती थी।
सीमा के अच्छे व्यवहार और कार्य की जानकारी से अन्य कर्मचारी इत्यादि भी उसके काम से काफी खुश थे । एक दिन दिल्ली से एक टीम आई, जिसमें दिल्ली से कंपनी के डायरेक्टर मिस्टर कपूर भी आए हुए थे । सीमा से मिलकर उन्होंने शुभकामनाएं दी और कहा कि मुझे बहुत हर्ष होता है जब छोटे शहर की लड़कियां बड़े मुकाम हासिल करती हैं । ईश्वर करे तुम ऐसे ही उन्नति करो । वर्षा जल भुन कर राख हो रही थी । वह कारण ही खोज रही थी सीमा को नौकरी से निकालने का क्योंकि उसकी चमक कुछ फीकी हो रही थी । एक दिन दफ्तर देर से आने पर वर्षा चीख कर बोल पड़ी कल से तुम्हारी जरूरत नहीं है, मत आना । यह लो अपना रिलीविंग लेटर । पर ऐसे नहीं होता है सीमा बोली मैम मैं कपूर सर से बात करूंगी । जितनी तुम्हारी सैलरी है उतने कि मैं अपने स्टाफ को एक दिन कि चाय पिलाती हूं । कभी खुद को देखा है आईने में ? लोगों ने तारीफ़ क्या कर दी सर पर चढ़ गई, बड़ी आई मैनेजर बनने, पहले जा एमबीए करके आ । यह कहकर वर्षा ने सीमा को बाहर का रास्ता दिखा दिया । सीमा ने मन ही मन ठान लिया था कि चाहे कुछ भी हो एमबीए तो मैं करूंगी । सभी विश्वविद्यालयों के फॉर्म, सभी पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञप्ति देखें । लखनऊ विश्वविद्यालय से उसी वर्ष प्रबंधन की परीक्षा देकर प्रबंधन विषय एमबीए में प्रवेश लिया । पाठ्यक्रम बहुत कठिन था लेकिन उसने जी जान से मेहनत की । दो वर्षों की पढ़ाई कर विश्वविद्यालय द्वारा दिल्ली की एक कंपनी में प्रबंधक के पद पर नियुक्ति हुई।
और किस्मत का इतिहास देखो वर्षा की मुलाकात उससे दोबारा उसी कंपनी में हुई । वर्षा ने सीमा को पहचान लिया था तुम यहां कैसे ?
मेरी सफलता में कहीं न कहीं आप भी बराबर की हिस्सेदार है, आप ही ने तो मुझे यहां का रास्ता दिखाया था । सीमा ने अपने एमबीए और प्लेसमेंट का पूरा वृतांत सुनाया । वर्षा को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ।
सच है.. मेहनत करने वालों को सफलता जरूर मिलती है । प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं ।
Writer:- Sarita Singh
From:- Gorakhpur, U.P. (India)
Good
ReplyDelete