सिंहासन सफलता का - by Khushboo Lalwani
होसलों का दामन ज़रा थामकर तो देखिए,
होसलों के साथ उड़ान ज़रा भरकर तो देखिए,
सपनों की ऊचाईंयां ज़रा बढ़ाकर तो देखिए,
दिलों में जुनून नया ज़रा जगाकर तो देखिए,
कदमों को ज़रा बेड़ियों से छुड़ाकर तो देखिए,
कर्मभुमि में ज़रा उतरकर उसे छुकर तो देखिए,
कर्मभुमि की धरा पर ज़रा पग पग चलकर तो देखिए,
मन को कोशिशों का साहिल ज़रा देकर तो देखिए,
कर्म से चिरपरिचित, फल से अनभिज्ञ होकर तो देखिए,
उम्मीदों की कलम में स्याही ज़रा भरकर तो देखिए,
वो पर्वत शिखर सा सिंहासन सफलता का,
कर्मयोगी के इंतज़ार में कब से पलकें बिछाये बैठा है।
Writer:- Khushboo Lalwani
From:- Bhopal, M.P. (India)
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