जीवन होता है संग्राम - by Shiv Kumar Sapuniya


जीवन होता है संग्राम

शूल बिछे होते है पग पग पर

और पथ पर अंगारे भी

पहाड़ बनकर टूटती मुश्किलें

ओर आकर्षण का तूफान

होती है नाजुक उमरिया रखना होता है

इसका भी ध्यान

बघनख छिपे होते है लोगो के मुख मे

और तालु मे तलवारे

तलवारो से बचना होता है

लगा के अपनी जान

साधना होता है जीवन

ईसा भी लेता ईम्तिहान

पल पल मे होती है परीक्षा

नही होता है विश्राम

लक्ष्य होता है जीवन का सर्वस्व

और आगे की पहचान

होता है राही अकेला और

पथ भी अंजान

आदर्श भी ऊँचे होते है

ऊँची होती है मंजिले

मन बार बार बदलता है

आती है पुकार एक बार

जो सुन ले मन की पुकार

वही खोलता है सफलता के द्वार


Writer:- Shiv Kumar Sapuniya

From:- Raisingh Nagar, Rajasthan (India)

20 comments:

  1. Excellent and nice line forever ❤️❤️❤️❤️❤️😍😍😍😍

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  2. शानदार अभिव्यक्ति 🔥

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