शिखर पर बैठी सफलता - by Pooja Sharma


हम ताकते है उस ऊँचे शिखर पर बैठी सफलता को,

पर आसान नहीं है, उस दुर्गम ऊँची चढ़ाई पर चढ़ना,

उस क्षण भंगुर सीढ़ी पर, पैर जमा कर चलना,

भाँपना होता है, हर पायदान पर पड़ी जटिलता को,

दृढ़ संकल्प लें, दूर करना है हर कठिनता को, 

क्योंकि, हम ताकते है उस ऊँचे शिखर पर बैठी सफलता को।


उस सीढ़ी की हर पायदान, एक 'अ' से बनी है, 

रौंद दो हर उस 'अ' को, जो एक दीवार बनी है,

 अज्ञान, अकड़, अरुझ, अहंकार, 

अविज्ञ, अविहित, अध्यास, अपकार,

जितने अधिक 'अ', सीढ़ी उतनी लम्बी हो जाती है,

सोच और सफलता के बीच दूरी बढ़ती चली जाती है,

असफलता का 'अ', बना ही है कट के गिरने को,

क्योंकि, हम ताकते है उस ऊँचे शिखर पर बैठी सफलता को।


Writer:- Pooja Sharma

From:- Ghaziabad, U.P. (India)

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