सफलता की उड़ान - by Hirdesh Verma 'Mahak'


कब तक स्वप्न देख सुखद अनुभूति पाएगा तू।

टूटेगी नींद जब, सारे ख्वाब छितर बितर पाएगा तू।।

है अगर चाहत तुझे जहां में कुछ कर गुजरने की तो

उठ खड़ा हो संघर्ष के लिए, ये वक्त फिर कहाँ पाएगा तू।।


सफलता की कहानी लिखना है तो, रातों की नींदें वार दे।

रात-दिन का एक एक क्षण परिश्रम में गुजार दे।।

तैयारी कर हर हाल में जीत की, आने वाले कल के लिए

अपने वर्तमान को संकल्प की शक्ति का शृंगार दे।।


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 कदम बढ़ा नयी राह के लिए, सोचने में और कितना वक्त तू लगाएगा।

सघन तिमिर में साहस से ही तू आलोक भर पाएगा।।

मेहनत करने वाले हाथों से सफलता दूर नहीं होती।

आत्मबल से अपने तू भी सुनहरी तकदीर लिख जाएगा।।


ना डरना तू ,ना थमना तू दुर्गम पथ की पीड़ाओं से।

ना लक्ष्य अपना छोड़ना घिरकर विकट बाधाओं से।।

आँधी , प्रलय भी ना तेरी राह में अवरोध बन पायें

बिखरे ना विश्वास तेरा असफलताओं के प्रहारों से।।


उड़ान ऐसी भरना तू जिसकी पहुँच फलक तक हो।

तेरे नाम की रोशनी अनंत, सर्वोच्च शिखर तक हो।।

ना देखना तू अपने पैरों के छाले उस पल से पहले-

मंजिल जब तक कदमों में ना हो जख्म चाहे  तेरे सर तक हो।।




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