वीर सपूत - by Payal Sonthalia
वीर सपूत
नमन है उन परिवारों को
जो खुद से पहले मुल्क चुने
निज स्वार्थ से ऊपर उठकर
सरहद की रक्षा का स्वप्न बुने
भरी जवानी में ही जो
जीवन के सारे सुख छोड़ चले
अपने घर परिवार को वो
किसके सहारे छोड़ चले
धरती मां के वो राजदुलारे
मिट गए वतन की रक्षा को
मातृभूमि का ऋण चुका गए
सोचा नहीं एक पल भर को
बुढ़ापे की लाठी छूटी
टूटी चूड़ियां कलाई की
ममता की गोद हुई सुनी
छिन गई गुँज शहनाई की
सबसे पहले है देश मेरा
ये मुझको जान से प्यारा है
ऐसे ही देश के वीरों ने
भारत का भविष्य संवारा है


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