माँ भारती वन्दना - by Sanjay Kumar Rao
माँ भारती वन्दना
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जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।
जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।।
शुभ्र मस्तक मुकुट सोहे, तुंग हिमगिरि धवल शीतल ।
मध्य मुक्ता सम सुहासित, धरा उर्वर शस्य श्यामल ।।
पाँव जिसके है पखारे, नील जलनिधि मत्त सागर ।
रत्न मुक्ता मणि विपुल से, है भरा जिसका ये आगर ।।
पवन है अविरल उतारे, मातु तेरी आरती ।
जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।।
राम की पावन ये धरती, कृष्ण ने गीता सुनायी।
जटाधारी भोले शंकर, की है काशी पुण्यदायी ।।
बुद्ध की ये कर्मभूमि, ज्ञान की धरती यही है ।
शान्ति की सरिता मधुर, अरिहंत की शिक्षा बही है ।।
ज्ञान की जननी यही है, पुण्य स्वर उच्चारती ।
जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।।
युव विवेका की ये जननी, विश्व को संदेश देकर ।
धर्म की गरिमा बताया, शून्य का आधार लेकर ।।
देवभूमि है हिमाचल, दिव्य आभा से सुसज्जित ।
स्वर्ग सी सुन्दर सजीली, काश्मीरी मुग्ध प्रमुदित ।।
उत्तराखंडी धरा है, मंत्र धुन उच्चारती ।
जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।।
पंच नदियों की धरा, पंजाब है समृद्ध प्यारा ।
दूध दधि मट्ठा से पूरित, दिव्य भोजन का सहारा ।।
राष्ट्रभक्तों की ये धरती, आन जिनका शान है ।
देश की रक्षा की खातिर, तन है जीवन प्राण है ।
प्रेम के धुन से है गुंजित, ये धरा माँ भारती ।
जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।।
भव्य है इतिहास जिसका, राजपूती शान है ।
वीरगाथाएँ समेटे, भू ये राजस्थान है ।।
है नहीं सानी जहाँ की, वीरता की बानगी ।
जौहरों की पुण्य गाथा, है कहानी मान की ।।
वीरसूता है धरा ये, धन्य हे माँ भारती ।
जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।।
राम ने की थी जहाँ, शिव की महा आराधना ।
सेतु बाँधा वानरों ने, दिव्य था कौशल घना ।।
देश अपना था समुन्नत, ज्ञान में विज्ञान में ।
विश्वगुरु था देश अपना, हर विधा सम्मान में ।।
फिर से है गौरव वो लाना, आज हे माँ भारती ।
जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।।
योग का सन्देश हमने, ही दिया है विश्व को ।
बाबा गोरख औ पतंजलि, की विधा इस विश्व को ।।
विश्व ने माना औ जाना, योग के औचित्य को ।
आपदा ने जब हिलाया, विश्व के अस्तित्व को ।।
वेदआयुष की महत्ता, आज दुनिया मानती ।
जयतु जय माँ भारती, जय भारती माँ भारती ।।
- संजय कुमार राव
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