वीर शिवाजी - by Sandhya Seth


वीर शिवाजी

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निकले जब करके रण श्रृंगार वीर शिवाजी

हर मराठा का मन डोला था,

आग लगा दी हर पर्वत पर 

और भड़का हर शोला था।


राजपुताना वीर शिवाजी 

बस नाज करे तलवारों पे, 

अपना पूरा जीवन काटा 

तीर, बरछी और कटारों पे।


रायगढ़ की दीवारों से स्वराज 

का सपना हर नैनों में डोला था,  

वीर शिवाजी की चतुरता से ही

मुगलों का सिंहासन डोला था।


शिवाजी की वीरता ने ही

हिन्दुस्तान की थी लाज संभाल,

कण कण कुरबानी में डूब गया

जब निकला रण में अपना 

वीर शिवाजी लाल।


जल में घुसकर भगवा फहराया 

लांघ समुन्दर विशाल, 

दे दी हमको धरोहर इतनी की 

थल सेना हो गई मालामाल।


निकले जब करके रण श्रृंगारवीर शिवाजी

हर मऱाठा का मन डोला था।


- संध्या सेठ

गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

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