भ्रष्टाचार - by Rajesh Shrivastava


भ्रष्टाचार

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"क्या डीएसपी सहाब आए थे?"

हवादार खड़े हो कर सलामी देते हुए - "नहीं सर..."

"कोई फोन?" - "नहीं सर..."

"ये क्या केस है?" - सब-इंस्पेक्टर ने फिर पूछा...

"सर इनका कुत्ता गुम हो गया है" - हवादार ने रिपोर्ट लिखते हुए बताया। हवादार के सामने बैठे श्री कुमार ने भी सब-इंस्पेक्टर का खड़े हो कर अभिवादन किया ।

सब-इंस्पेक्टर ने बुदबुदाते हुए कहा - "अब पुलिस डिपार्टमेन्ट को यही दिन देखना बाकी था, अब कुत्तों को ढूँढते फिरो।" और फिर अपनी केबिन में चले गए।

इन सबसे अनजान श्री कुमार अपने कुत्ते का बखान करते रहे। रंग, आदतें, गोत्र, जाति इत्यादि सब कुछ विस्तार से बताते रहे।एक-एक आदत और बारीकियाँ को समझाते रहे। साथ ये भी बताया कि उसकी पत्नी का रोते रोते बुरा हाल है, हनी के बिना एक-एक पल जीना मुश्किल हो रहा है।


हवलदार बड़ी ही हैरत भरे मन से उनकी बातें सुनता रहा। उसका मन आदर भाव से भर गया, सोचने लगा दुनियाँ में ऐसे लोग भी हैं, जो एक जानवर को भी इंसान से ज्यादा तरजीह देते हैं।


पर प्रत्यक्ष में पूछा - "कुमार सहाब हनी की कोई फोटो है?"

"है न..." कह कर, कुमार अपनी मोबाइल में कई फोटो दिखाने लगे और सभी फोटो का संदर्भ भी बताने लगे।


हवादार ने कहा कोई एक फोटो मेरे मोबाइल पर भेज दें। इन सब कार्यवाहियों में पूरे डेढ़ घंटे लग गए। जैसे ही श्री कुमार जाने को उठने वाले थे, तभी उनके मोबाइल की घंटी बज उठी। घंटी, क्या बढ़िया सी गिटार की धुन...


उतावलेपन में फोन रिसीव कर बोले - "तुम चिंता मत करो, मैंने पुलिस को सब कुछ बता दिया है। भगवान ने चाहा तो हनी जल्दी ही मिल जाएगा।"


फिर कुछ सुनने के बाद अचानक मुँह से निकला - "वाह! कहाँ? फिर तो मैं जल्दी ही हनी को लेकर घर पहुँचता हूँ।"


श्री कुमार का चेहरा चमक उठा, फिर हवादार की तरफ मुखातिब हो कर बोले - "सर हनी मिल गया है... दरअसल वो हमारे पिता जी के पास वृद्धाश्रम में चला गया था। हमारे बंगले से बस कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है, मैं उसे लेता चला जाऊँगा।"


हवादार ने हिकारत भरी नजरों से देखा, बोला यहाँ साइन कीजिए। आपलोग भी न... कितना समय खराब किया? फिर बुदबुदाया ये संपन्न लोग न! सरकारी विभागों को, अधिकारियों को, और नेताओं इत्यादि को भ्रष्ट बोलते हैं, ये खुद भ्रष्ट हैं... भ्रष्ट कहीं के!


सोचने लगा... कितना आदर भाव आ गया था मेरे मन में... पर ये बड़े बंगले का मालिक, अपने पिता को वृद्धाश्रम में... छी छी...


इन सब से बिल्कुल अनजान श्री कुमार अपनी आलीशान गाड़ी में बैठ रवाना हो गए।


- राजेश श्रीवास्तव

वर्तमान पता - बेंगलुरु, कर्नाटक

स्थाई पता - पटना, बिहार

शिक्षा - पटना विश्विद्यालय से वाणिज्य में स्नातकोत्तर 

पेशा - एक लॉजिस्टिक कंपनी में सी० ई० ओ० के पद पर बेंगलुरु में कार्यरत

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