अंकल जल्दी आ जाना - by Sushila Sharma
अंकल जल्दी आ जाना
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जब मुनिया का जन्म हुआ तो मदन सिंह बड़ी ही मुश्किल से हफ्ते भर की छुट्टी लेकर आया था। उसके जन्म की उसने बड़े ही धूमधाम से सभी रिश्तेदारों को बुलाकर पार्टी दी। घर में सभी बहुत खुश थे। दादा-दादी तो अपनी पोती को खिलाते थकते नहीं थे।
अभी हफ्ता पूरा भी नहीं हुआ था और अचानक सीमा पर युद्ध छिड़ जाने के कारण सभी फौजियों की छुट्टियाँ निरस्त कर दी गई। मदन सिंह के पास जैसे ही फोन आया तो उसे फौरन परिवार को छोड़कर सीमा पर जाने के लिए रवाना होना पड़ा।बड़े ही भारी मन से माता-पिता से आशीर्वाद लिया, अपनी पत्नी सरला को गले लगाया और मुनिया को प्यार कर फिर आने का वादा करके घर से रवाना हो गया। बेस ऑफिस पहुँचते ही जवानों को हैलीकॉप्टर में बैठाकर सीमा में तैनात करने के लिए रवाना कर दिया गया। चारों तरफ का वातावरण, टैंकों से गोलाबारी और बंदूकों की गोलियों की दिल दहलाने वाली आवाजों से भयानक मंजर बनाए हुए था।
युद्ध तो समाप्त हुआ, लेकिन सेना के जवानों को अभी भी शहर की सीमाओं पर तैनात किया गया था। मदन सिंह और उनके कुछ साथी शहर के लोगों की मदद के लिए ड्यूटी पर लगाए गए थे। वहीं मदन सिंह की मुलाकात एक बच्ची सलमा से हुई, जो लगभग चार साल की थी। अचानक सलमा कहीं से आई और उसके पैरों में लिपट गई। मदन सिंह ने देखा तो लगा जैसे वह कुछ डरी, सहमी सी है। उसने सलमा से उसके माता-पिता के बारे में पूछा तो उसने कहा - "मेरे बाबा नहीं हैं, फौज में थे, भगवान के पास चले गए, अम्मी हैं। उसे देखकर मदन सिंह को अपनी बेटी मुनिया की याद आने लगी।
सलमा को मदन सिंह से बात करना अच्छा लगता था। वह रोज वहाँ आती और बातें करती। मदन सिंह तो उसे देखकर भाव विभोर हो जाता था। एक दिन मदन सिंह वहाँ से बेस ऑफिस जाने के लिए जैसे ही कार में बैठा, सलमा अंकल अंकल आवाज लगाती दौड़ कर आई और पूछने लगी - "आप कहाँ जा रहे हो?" मदन सिंह निराश हो गया। कुछ बोल नहीं पाया और सलमा को प्यार करने लगा तो सलमा ने भी प्यार किया और कान में कहने लगी - "अंकल क्या आप मेरे पापा को लेकर आओगे? मदन सिंह की आँखें नम हो गईं। वह सलमा को जवाब नहीं दे पाया और सिर पर हाथ फेरकर रवाना हो गया। सलमा चिल्लाते हुए बोली - "अंकल जल्दी आ जाना।"
रह रह कर मदन सिंह की आँखों के सामने उसे अपनी मुनिया ही नजर आने लगी थी और वह उसकी यादों में खो गया ।
- सुशीला शर्मा
पता :- सोडाला, जयपुर (राजस्थान)
शिक्षा :- M.A., B.Ed
35 वर्ष हिंदी अध्यापन अनुभव
बाल साहित्य की 4 पुस्तकें एवं एक काव्य पुस्तक प्रकाशित
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
लगभग 35 पुस्तकों की समीक्षा लेखन
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