याद - by Achyut umarji


याद

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क्षण भी समझ ना पाए।

ना समझी में हो जाए।

तेरा साथ रहे।

उन क्षणों को मैं सदा पास रखूँ।


रात भी समझ ना पाए।

तेरे सपनों में खो जाऊँ।

सभी भावनाएँ होंठों पर आ जाएँ।

अनकही भावना भी उमड़ आए।


फूल भी समझ ना पाए।

फूलों की जगह तेरी महक आए।

धीरे से तेरी कानों में कुछ कहूँ।

तेरी होंठों से गुलाब की महक आए।


कविता को समझ ना आए।

तुझे उस में लिखूँ।

दिखाई दे तू उन शब्दों की श्रृंगार में।

और मोहब्बत के बारे में लिखूँ।

तो याद आओ सिर्फ तुम! केवल तुम।।


- अच्युत उमर्जी

पुणे, महाराष्ट्र

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