पढ़ें चेतना अग्रवाल जी की रचनाएँ ( Chetna Agrawal )


(1) पर्यावरण बचाओ

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प्लास्टिक का करो बहिष्कार।

रसायनों का है यह भण्डार।


गुहार अब प्रकृति ने लगाई है।

दे रही मानवता की दुहाई है।


तापमान पृथ्वी का प्रतिदिन बढ़ रहा।

संतुलन ऋतुओं का देखो, बिगड़ रहा।


मिलकर पर्यावरण को बचाएँ।

चलो आज कुछ उपाय बताएँ।


दो-दो कचरापात्र घर मे लाएँ।

सूखा-गीला पृथक कराएँ।


वस्तुएँ प्लास्टिक की जब बेकार हो जाएँ।

पुनः उपयोग पर उनसे नई चीजें बनाएँ।


सब्जियों के छिलकों की खाद बनाएँ।

आँगन-बगिया खुशबू से महकाएँ।


जब भी आप बाज़ार को जाएँ।

थैला कपड़े का ना भूल जाएँ।


प्लास्टिक कचरे का हो सही उपयोग।

प्लास्टिक ईको ब्रिक को करें प्रयोग।


ईको ब्रिक को संस्थाओं में पहुँचानी है।

सड़क और दीवारें मज़बूत बनानी है।


प्लास्टिक कचरा न हो कहीं भरा।

समुद्र का किनारा भी हो हरा भरा।


आओ उठाएँ सब मिलकर जिम्मेदारी।

पर्यावरण बचाने की अब बारी हमारी।


- चेतना अग्रवाल

अहमदाबाद, गुजरात


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(2) सावित्री बाई फूले

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नमन करती हूँ आपको,

माता सावित्री बाई फुले।

हम सब हैं कर्जदार आपके,

बोलो कैसे? आपको भूलें।


फेंका जालिमों ने उन पर,

पत्थर, कीचड़ और गोबर।

अतिरिक्त साड़ी रखती साथ में,

रहती तैयार वस्त्र बदलकर।

मस्तिष्क को करके पोषित,

किया बेटियों का शिक्षित।


प्रथम जागरूक शिक्षिका थी,

कहती जागो और करो चिंतन।

उठाई आवाज़, क्या जातिवाद,

क्या पाखंडवाद, मिटाया रूढ़िवाद।


सतीप्रथा है अपराध, बेटियों को सिखाया।

रोको बाल-विवाह को, अलख यह जगाया।

शिक्षा करें सफल, महिला मुक्ति मिशन।

उभरी बनकर देवी ज्ञान की, है वन्दन।

सावित्री बाई फुले को शत शत नमन।

सावित्री बाई फुले को शत शत नमन।


- चेतना अग्रवाल

अहमदाबाद, गुजरात

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