बचपन - by Anjali Goswami ( Bachpan, Childhood, Kids, Motivational, Motivational Kavita )


चाहे उम्र हो सत्तर की या हो पचहत्तर की,

दिल में बचपने को जिंदा रहने दिया करो।

जब कभी थक जाओ ज़िम्मेदारियां निभाते निभाते,

तो घर में बच्चो के साथ खेल लिया करो।


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ना जाने कब बुलावा आ जाए मौत का,

कुछ पल तो यारो सुकून के जी लिया करो।

क्यों मांगते हो किसी से की लौटा दो बचपन,

हर उम्र में थोड़ा ही सही बचपना जी लिया करो।

माना हो गए हो बड़े , अब बचपना नहीं जचता,

लेकिन खुशियों का असली मज़ा ,

समझदारी में भी तो नहीं मिलता ।

कभी कभी छोटी बातों में भी,

बच्चो की तरह खिलखिलाया करो ।

हर उम्र में थोड़ा ही सही बचपना जी जाया करो।

माना समझदार हो गए हो, बड़े व्यक्ति बन गए हो,

लेकिन अपनो से दूरियां ना बनाया करो।

बचपन में जैसे रूठ के मान जाते थे ,

अब भी जल्द ही मान जाया करो ।

कट्टी से  जल्द दोस्ती  का सिलसिला बनाए रखो,

अपने अहम को बीच में लाया करो ।

इसलिए हर उम्र में बचपना जी जाया करो ।

जब कभी जीवन में हार जाओ ,

बचपने की चहलकदमी से,

 गिर के संभलने को याद किया करो।


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 उस समय गिरने से रुक जाते,

तो क्या जीवन में चलना सीख पाते ,

बस इस याद से फिर से उमंग जगाया करो,

फिर से गिर के संभलने को अपनाया करो ।

और अपना बचपना जी जाया करो।।

जब भी घेरे दुख की आंधी और ,

छा जाए जीवन में उदासी ,

तब कुछ पल अपने दोस्तों के साथ बिताया करो।

जैसे बचपन में घूमने जाते थे ,

और हर गम भूल जाते थे।

अब भी भूल जाया करो, 

क्योंकि सुख दुख है, जीवन की धूप छाव,

इसके लिए उदासी को अपना साथी ना बनाया करो 

जीवन में कभी भी बचपने को ना भुलाया करो ,

समय समय पर उसे जी जाया करो ।।।




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