महादेव डमरू वाले - by Hirdesh Verma 'Mahak' ( Damru Wale, Mahadev, Shiv, Shankar, Bholenath, Mahakal, Bhakti, Devotional)


आदिदेव तुम सृष्टि का सृजन करने वाले
नीलकंठ तुम अमृत देकर विषपान करने वाले
दुर्लभ रूप तुम्हारा सौम्य,सरल, अभ्यंकर तुम
कण कण में है दर्शन तुम्हारे, मेरे महादेव डमरू वाले


अदि्वतीय  है  शिव, देव जगत में
देव, असुर,यक्ष सब जिनकी शरण में
ब्रम्हा,विष्णु सब करें अनुसरण तुम्हारा
राम, कृष्ण के मुख से भी हो वंदन तुम्हारा।।
दीन दुखियों, निर्बलों की पीड़ा हरने वाले
अजर,अनंत,अविनाशी, तुम महादेव डमरू वाले।।


रंग,रूप, वर्ण, धर्म तुम्हें कोई बाँट ना पाया।
भूत, प्रेत, पशु,जीव जंतु सबने तुम्हारा सांनिध्य पाया।।
श्रृद्धा भाव से जिसने तुमको पुकारा।
तुमने भी हर विपदा में फिर उसको संभाला।।
सारी सृष्टि पर तुम करूणा बरसाने वाले।
देवों के देव तुम, महादेव डमरू वाले।।


रूप अनूप है  शिव का अति  सुन्दर।
निर्मल, पावन गंगा जिनकी जटा के अंदर।।
आभूषण ना कोई सिंहासन तुमको भाया।
नश्वर जग से तुमने कोई मोह ना लगाया।।
अर्द्धचंद्र को मस्तिष्क पर तुम धारण करने वाले।
त्रियंबक, त्रिपुरारी तुम महादेव डमरू वाले।।


तन पर भस्म लगाकर, शमशान पर डेरा डाला।
गृहस्थ में भी शिव और वैराग्य में भी वो निराला।।
सिर पर त्रिपुंड चंदन,गले नाग वासुकी लिपटायें।
त्रिशूल, डमरू,शिव के हाथों की शोभा बढ़ायें।।
मान, अपमान से सदा अनभिज्ञ रहने वाले।
महासती, पार्वती के प्रियवर हो, तुम महादेव 
डमरू वाले।।


त्रिशूल तुम्हारा रज,तम,सत, तीनों गुण ये संभालें।
बड़े जब जब भी अधर्म  दुष्टों को ये संहारे।।
सृष्टि  में  डमरू  अदभुत  सामंजस्य बनाए।
आनंद और  प्रलय दोनों ही  रूप दिखाये।।
मार्कंडेय की भक्ति और दुर्वासा की शक्ति पूर्ण करने वाले।
असुरों को भी वर देते, तुम महादेव डमरू वाले।।


शिव का नाम है सारे जग में अति पावन।
रख होंठों पर, कर उनके  चरणों का वंदन।।
धर्म, न्याय  के रक्षक है शिव।
शिव है सत्य का मनोरम दर्शन।।
'महक' के चिन्तन में हर  क्षण रहने वाले।।
मेरे आराध्य हो,तुम महादेव डमरू वाले।।



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