ओ डमरू वाले - by Swati Saurabh ( Damru Wale, Shiv, Bholenath, Shankar, Shiva, Mahakal, Bhakti, Kavita )
त्रिनेत्र खोलो, ओ त्रिलोचन!
निरीह प्राणियों का देखो शोषण।
खो रही नारी सम्मान,
आ रही अस्मिता पर आंच।
सब ओढ़े भेड़िए की खाल,
बच्चियां भी हो रही शिकार।
बढ़ा है धरती पर अत्याचार,
करो अब दुष्टों का संहार।
भर गया पापियों का घट,
अघ विषपान करो नीलकंठ।
ओ डमरू वाले! करो डमरू का नाद,
निकालो प्रलयंकारी आवाज़।
कांप उठे धरती ,ब्रह्माण्ड,
निकले जब डमरू का ब्रह्मनाद।
ओ वैरागी! करो उन्माद,
ओ डमरू वाले! करो डमरू का नाद।
अपना रूप करो विकराल
पापियों का करो विनाश
तांडव नृत्य, करो उन्माद
ओ डमरू वाले! करो डमरू का नाद ।
Writer:- Swati Saurabh
From:- Bhojpur, Bihar
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