नवरात्रि के पावन दिन - by Hirdesh Verma 'Mahak' ( Maa Durga, Navratri, Dussehra, Durga Puja )


नवरात्रि के पावन दिन माँ 

गुजरेंगे तेरे दर्शन में।

सुन्दर प्यारी,सूरत तेरी माँ

बसी हुई है मेरे अंतर्मन में।।


शैलपुत्री माँ प्रथम रूप तुम्हारा

पर्वत राज हिमालय सुता,

सती की तुम छाया,बृषभ सवारी

कमल, त्रिशूल तुम्हारे कर में।।


ब्रह्मचारिणी माँ दूजा रुप तुम्हारा

त्याग, समर्पण और अलौकिक जप

तप से तुमने शिव को बाँधा बंधन में।।


चंद्रघंटा माँ तृतीय रूप तुम्हारा

दस भुजाओं वाली, अस्त्र शस्त्र धारिणी

शीघ्र फल उसे देने वाली जिसने भी

पुकारा तुम्हें सच्चे मन से।।


सूर्य का तेज लिए माँ चतुर्थ रूप कुष्माण्डा तुम्हारा, अष्ट भुजाओं वाली

अमृत कलश धारिणी,तुम सम दूजा ना जग में।।


पद्मासना देवी तुम माँ स्कंद 

पंचम रूप में पूजी जाती।

चार भुजाओं में बल धारण करती,

भगवान स्कंद को लिए तुम कर में।।


ऋषि कात्यान का तप पूर्ण किया तुमने

छठे रूप कात्यायनी में आकर,

खड्गधारी तुम, अमूल्य योग माँ तुम्हारा जग के कल्याण में।।


कालरात्रि माँ सप्तम रूप तुम्हारा,

घने तिमिर सी तुम्हारे इस रूप की रंगत।

दुष्ट,दानव, दैत्य तुम्हारे नाम से काँपें पल में।।


गौरवर्ण ,शंख, चक्र, कुंद पुष्प समान

महागौरी माँ नवां रूप तुम्हारा।

त्रिशूल, डमरू साजे माँ पाप नाश करती

 हो तुम क्षण भर में।।


सारे ही रूप माँ तेरे शुभ मंगल करने वाले।

दर्शन तेरे मिल जाए मुझे और क्या लेना है मुझे जग में।।




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