नवरात्रि विशेष ( दोहा ) - by Vijay Kumar Tiwari "Vishu" ( Navratri, Durga Puja, Dussehra, Doha )
नवरात्रि विशेष
दोहा
दुर्लभ तेरो मार्ग है, करना तेरा ध्यान |
कठिन है तेरी साधना,जाने सकल जहान||
मन्त्र ज्ञान, चैतन्य सब , ये हैं दुर्लभ पंथ|
ब्रह्म योनि शव साधना,भक्ति मुक्ति के तंत्र||
हो प्रसन्न जगतारिणी, सिद्ध करें सब काम|
बोले शिवशंकर सदा, ध्यावे जो निष्काम ||
माँ काली का रूप धरि , चंड-मुंड बध कीन्ह|
नाश किया भय काल का, जग को आशीष दीन्ह||
जगत धात्रि हरबल्ल्भा ,पालित यह संसार |
हरि से पूजित हरिप्रिया , करती मद संहार ||
गुरुप्रिया विष्णुप्रिया , गौरवर्ण है रूप |
पूजित है माँ ब्रह्म से , विकटाकार स्वरूप||
तुम सिद्धि सिद्धेश्वारी , सिद्ध करे हर मन्त्र|
दुर्गा दुर्गति नाशिनी , लिंग शोभिता तंत्र ||
उग्रमूर्ति , उग्रतारा ,नीलमुर्ति स्वरूप है |
श्यामलांगी श्यामवर्णा विकटमूर्ति रूप है||
पूरित करे सब कार्य माँ तेरी करूँ मैं वन्दना |
हे ! घोराकारं अन्नपूर्णा शिव करें आराधना ||
विश्वेश्वरी पद्मासना हो आदि माँ महादेव की|
मुण्डमाला से अलंकृत स्वामिनी जगदीश की||
अबलागणों से हो विभूषित शिव की हो आराध्य माँ|
शिवगणों से हो अलंकृत है कार्य क्या जो असाध्य माँ||
सिद्धिदात्रि नित्यानित्य सगुण-निर्गुण ध्यान हो |
महाविद्य माँ अर्चिता दिव्या माहेशी ज्ञान हो ||
माँ रक्तबीज विनाशिका त्रिपुरेश्वरी सुरसुन्दरी |
धुम्रासुर माँ विनाशिनी बगलामुखी हे सुरेश्वरी||
कमलासना विजया जया माँ आप ही जगतारिणी|
हे ! सर्वसिद्धिदायिनी हे ! दसभुजा भयहारिणी||
सती साध्वी हे ! भवानी आर्या दुर्गा नमोस्तुते |
हे ! त्रिनेत्रा हे ! चित्तरूपा चिता सत्ता नमोस्तुते||
भव्या भाव्या भाविनी,हे ! सत्यानन्द स्वरूपिणी |
हे ! अभव्या चन्द्रघंटा , हे ! वैष्णवी उत्कर्षिणी ||
माँ देवमाता शाम्भवी, हे ! दक्ष यज्ञ विनाशिनी |
हे ! पाटला पटलावती ,हे ! माँ कमलञ्जिरंजिनी ||
पुरुषाकृति ज्ञाना क्रिया,हे ! चन्डमुन्डविनाशिनी |
माँ अपर्णा हे ! दक्षकन्या,हे ! सर्वदानव घातिनी ||
प्रौढ़ा अप्रौढ़ा बलप्रदा ,हे ! वृद्धमाता नमोस्तुते |
माँ घोररूपा अग्निज्वाला ,हे ! कालरात्रि नमोस्तुते ||
विष्णुमाया तूं अनंता , हे ! मुक्तकेशी नमोस्तुते |
भद्रकाली माँ कराली , वाराही लक्ष्मी नमोस्तुते ||
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