नेता जी, ओ नेता जी - by Abhilasha "Abha"


नेता जी, ओ नेता जी,

आप नहीं किसी के भ्राता जी,

काम हो तो हाथ जोड़ोगे,

नहीं काम तो नहीं पहचानोगे।


नेताजी क्या कहना आपका,

चमचों से घिरा कार्यालय आपका,

अत्याचार के आप प्रणेता,

दोषियों के मित्र आप वो राजनेता।


भोली भाली जनता है,

उनको ठगना आपका काम,

 इस कुर्सी के हैं खेल निराले,

इसपर बैठ कमाएं आप नाम।


लालच की भूख है आपको,

सत्ता पाते ही आप भूले सबको,

जनता का कहांँ ख्याल है,

आप अपनी जेब भरने में बेहाल हैं।


जीत गए तो अपना दम भरते,

हारे तो ईवीएम पर दोष मढ़ते,

अपराधी हो या ठेंगा छाप,

सबको मिलती यहांँ चुनावी धाप।


हार नेताजी सह नहीं पाते,

बीपी बढ़कर बुखार चढ़ जाता,

नेताजी की जब कुर्सी जाती,

तब वो कुछ कह नहीं पाते।


इन लोगों ने की है मनमानी,

लूटा देश को हुई जनता की हानि,

अब हम नेताओं की नहीं सुनेंगे,

अपनी बुद्धि विवेक का उपयोग करेंगे।


Writer:- Abhilasha "Abha"
From:- Patna, Bihar



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