नजर आता है - by Kamal Rathore 'Sahil'
जिसको देखो वो दूध का धुला नजर आता है
दूर से हर शख्स शरीफ नजर आता है।।
एक ही चेहरे पे अनगिनत नकाब ,
परखो तो असली चेहरा नजर आता है
खंजर छुपाने से कत्ल कहां छुपता है
यहां शागिर्द ही कातिल नजर आता है
Please visit this site for love related articles. This site is really amazing. Click here for visit
वह उम्र भर रहा सफर पे 'साहिल'
परिंदा भी अब थका हारा नज़र आता है
अब बरसातों का दौर कहां होता है
शहर का शहर बंजर नजर आता है।।
आईना तो टूट कर भी झूठ नहीं बोलता
हर शख्स क्यों झूठा नजर आता है।।
Writer:- Kamal Rathore 'Sahil'
From:- Sheopur, M.P. (India)
No comments