विवाह - by Dr. Priti Saxena ( Vivah, Marriage )
दो दिलों का
दो परिवारों का
दो आत्माओं का
फिर क्यों
कहीं पुरुष, स्त्री की सुनता नहीं
कहीं स्त्री ,पुरुष की सुनती नहीं
क्यों दोनों में होता
सामंजस्य नहीं
जब जोड़ियां स्वर्ग में बनती है
तो निभती क्यों नहीं
कहीं घरेलू हिंसा
की शिकार होती स्त्री
कहीं घरेलू हिंसा का
शिकार होता पुरुष
क्यों होता है ऐसा
जब जगह प्रतीक है
प्रेम का
विश्वास का
तू क्यों वहां किसी और से
और प्रेम किसी और से
होता है
यह कैसी प्रथा है मानव की
जहां विवाह है वहां प्रेम नहीं
जहां प्रेम है वहां विवाह नहीं
जब विवाह बंधन है
दो दिलों का
तो फिर दोनों में क्यों प्यार नहीं
तो फिर दोनों में क्यों प्यार नहीं।
Writer:- Dr. Priti Saxena
From:- Bharatpur, Rajasthan (India)
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