आती चलकर स्वयं सफलता - by Ripudaman Jha "Pinaki"
होती अपने कर्म से सदा, मानव की पहचान है।
बैठे हिम्मत हार जो जग में, वो मूरख नादान है।।
आलस भर कर अपने मन में, जो बैठे दिन रात।
वो नर जीवन डगर में हर पल, समय से खाए मात।।
माना जीवन में मिलता है, कभी भाग्य से हार।
साहस भर कर प्राण में अपने, कोशिश कर एक बार।।
पढ़िए जानकारी जो पता होना जरुरी !
भाग्य भरोसे जो रहता है, पछतावा ही पाता है।
गया समय फिर पास किसी के, नहीं लौटकर आता है।।
जीवन में संघर्ष बहुत है, कुछ भी कहां आसान।
लक्ष्य प्राप्ति करना है तो, करो तनिक संधान।।
मन में जो विश्वास को धर कर, करता सतत प्रयास है।
आती चलकर स्वयं सफलता, एक दिन उसके पास है।।
Writer:- Ripudaman Jha "Pinaki"
From:- Dhanbad, Jharkhand
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