कांप उठता हूं मैं - by Kamal Rathore 'Sahil'
असफलता
जिसके कल्पना मात्र से
सिहर उठता मैं ,
और विचार निकालने फेंकता
मन से ,किसी कचरे के ढेर में
मगर होनी - अनहोनी को
ना टाल सकता में ।
अभी तो शायद शुरुआत है
अभी तो ना जाने कितनी
सफलता - असफलता को छुना है मुझे
असफलता ही तो सफलता के
द्वार खोलेगी मेरे लिए
फिर भी न जाने क्यों
असफलता का नाम सुनते ही
कांप उठता हूं मैं ।
Writer:- Kamal Rathore 'Sahil'
From:- Shivpur, M.P.
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