माँ कहती थी - by Jyoti Agrawal
उन दिनों की कुछ और बात थी, जब मेरी माँ मेरे साथ थी।
उंगली पकड़ कर चलना सिखाती थी।
हर पहलू को बारीकी से समझाती थी।
कहती थी मंजिल पा लेने से ही सफलता हासिंल नहीं होती।
और हर मंजिल सफलता के काबिल नहीं होती।
सफल व्यक्तित्व उसी का होता है, जिसके अपनत्व और स्नेह का बीज।
उसके माता पिता के दिल में पलता है।
जिसकी सूझ-बूझ और समझदारी से सारा परिवार चलता है।
जिसका दिल गैरों के लिए भी पिघलता है।
और जो समाज को साथ लेकर चलता है।
सफलता ऐसे महापुरुषों के इर्द-गिर्द घूमती है।
और जो अपने लक्ष्य से नहीं भटकता,
सफलता उसी के कदम चूमती है।
Writer:- Jyoti Agrawal
From:- Alwar, Rajasthan (India)
nice poem
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