मायने बदलती है सफलता - by Meena Sharma


बचपन से लेकर जवानी तक, 

और फिर जवानी से लेकर बुढ़ापे तक, 

मायने बदलती है सफलता। 


पहले कदम बढ़ाना,

और फिर चलना सीख कर, 

जीवन चलाना है सफलता। 


पहले बोलना,

और फिर बात बनाना, 

यह कला सीख जाना भी है सफलता।

 

पहले विद्यालय की परीक्षा, 

और फिर ज़िन्दगी के इम्तिहान, 

सब पास कर जाना है सफलता। 


पहले अपना घर बनाना , 

और फिर बच्चों के साथ रहना, 

उनके साथ 'एडजस्ट' कर जाना है सफलता। 


पहले परिवार के लिए कमाना, 

और फिर बुढ़ापे में , 

अपना खर्च खुद चलाना है सफलता।


पहले बच्चों के लिए फर्ज़ निभाना, 

और फिर ज़िन्दगी के आखरी पड़ाव में, 

अपना बोझ खुद उठाना है सफलता। 


अपने माँ बाप को ,

छोटी छोटी सफलताओं से, 

खुश कर देना है सफलता।


और फिर साँसे थम जाने पर, 

अपनों का कन्धों पर उठाना, 

और उनका आँसु बहाना भी है सफलता। 


Writer:- Meena Sharma

From:- Pathankot, Punjab (India)

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