राही और मंजिल - by Sunil Kumar
राह राही और मंजिल का
आपस में गहरा नाता है
सुपथ चलता जो सदा
मंजिल अपनी पाता है।
देख राह की बाधाएं
तनिक नहीं घबराता है
मन में रख दृढ़ विश्वास
आगे ही बढ़ता जाता है
एक न एक दिन वो
मंजिल अपनी पाता है।
देख पांव के छालों को
हरगिज़ नहीं घबराता है
लांघ बाधाओं के सागर
आगे ही बढ़ता जाता है
एक न एक दिन वो
मंजिल अपनी पाता है।
Writer:- Sunil Kumar
From:- Bahraich, U.P. (India)
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