सफल होंगे हम! - by Sanjay Kumar Dokania


सफल  होंगे  हम!

विकट  परिस्थिति

धैर्य की  

सम्मान अभिमान की

बड़े  से  बड़े  युद्ध 

निढाल  हुए 

विश्वास  के  कदमों  पे

जब बात आन पर आई

मुछें  सवरनें  लगी ।

माटी का तिलक लगा ,

माटी के लिए

जीत हमारी होगी ।

निश्चय यह होने लगी ।

पराजय को जाना किसने,

हर  हार  को

जय में बदलना सीखा हमने।

दुष्ट की दुष्टता चरम होती 

पर ,एक योद्धा के आगे 

नतमस्तक होते देखा हमने ।

रक्तबीज का संकल्प 

जितने रक्त बूंद, उतने बीज

युद्ध की  दिशा  बदली,

मां ,ने हथियार बदला ।

संपर्क सूत्र खोज निकाला ।

एक  एक  सूत्र 

अलग अलग कर दिए ।

निढाल  रक्तबीज

स्वयं की मौत मारा गया।

माटी के कण कण से आती आवाज

क्या ये महामारी है।

व्यर्थ समय ना गवाएं 

रहे  थोड़े  दूर  हम , थोड़े  तुम,

विकट परिस्थिति टलेगी।

सूर्य किरणों से 

आशा की ज्योति जलेगी ।

आत्म संयम  से ,

उज्जवल होगा वो दिन ,

जीतेंगे  हम।

हारेगी दुष्टता। एक दिन 

नयन पुष्पों से प्रफुल्लित होगी।

आनंद की पंखुड़ियां

विजय पताका लहरायेगा, हमारा ।

सफल होंगे हम , सफलता होगी हमारी

एक दिन  एक दिन


Writer:- Sanjay Kumar Dokania

From:- Katihar, Bihar (India)

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