सफलता पाने की चाहत - by Mamta Richhariya
सफलता पाने की चाहत किसे नहीं होती बताओ तो ज़रा
बिना सफलता मिले कोई हसरत पूरी होती है क्या भला?
सफलता ही आगे बढ़ने की उम्मीद जगाती है दिल में,
बिना सफलता के मन में आशा जागती है कहाँ?
सफलता ही राहों पर चलने की नई दिशा बताती है
निराशा की चिंगारी को आशा के दीप में बदल जाती है
अंतर्मन के सारे संदेह का कर देती है शमन
कदम-कदम पर खुशियों के कमल खिलाती है।
सफलता की कुंजी को थामना चाहते हैं हम तुम
हृदय के बंद कपाट खोलना चाहते हैं हम तुम
उम्मीद के बंद तालों को देकर सफलता की चाह,
प्रत्येक काज से असफलता को मिटाना चाहते हैं हम तुम।
Writer:- Mamta Richhariya
From:- Timarni, M.P. (India)
No comments