हौंसलों से कदम बढ़ाना सीखो - by Pinki Singhal
हौंसलों से कदम बढ़ाना सीखो
सफलता को गर अपनाना है।
लीक से हटकर चलना सीखो
सपनों को गर सच कर दिखलाना है।।
नई राह पर नई सोच से
मिलकर कदम बढ़ाना है।
कोशिश जारी रख कर हर पल
उम्मीद का दीप जलाना है।।
भाग्य के सहारे छोड़ो जीना
जो है करना खुद कर जाना है।
मुड़ कर देखो ना पीछे बस
मेहनत की सीढ़ी चढ़ जाना है।।
जो बहकाएं भरमाएं तुमको
वो संगी साथी तज जाना है।
ईश्वर पर रखकर विश्वास अटूट
बस आगे ही आगे बढ़ जाना है।।
मिन्नत और फरियाद भूलकर
खुद में विश्वास जगाना है।
अन्धविश्वास की बेड़ी तज कर
दुनिया को राह दिखाना है।।
मानव का कल्याण हो सके
इक ऐसा यंत्र बनाना है।
मेहनत कर इस जग में अपनी
अमिट इक पहचान बनाना है।।
डर को रखकर दूर कहीं
हिम्मत को गले लगाना है।
सफलता खुद आकर चूमे कदम
कर्म ऐसा कुछ कर जाना है।।
आलस का करके परित्याग
अब जीत का जश्न मनाना है।
सफलता हमको मिलेगी ज़रूर
इस मंत्र का जाप लगाना है।।
Writer:- Pinki Singhal
From:- Shalimar Bagh,Delhi,India
एक बहतरीन कविता। लोगो को मोटीवेट करने के लिए ऐसी कविताओं की आवश्यकता भी है। बधाई पिंकी सिंघल।
ReplyDeleteजी शुक्रिया
DeleteNice
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteSuerb
ReplyDeleteVery Inspirational poem by Pinki Singhal. It will motivate everyone to achieve their goals. I really appreciate Pinki for such a beautiful poem.
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