संघर्ष की जीत - by Hirdesh Verma 'Mahak'



कितनी भी हो  रात काली,
रोशनी भरी सुबह जरूर होगी।
थाम ले तू डोर साहस की
साहस से ही तेरी राह कामयाब होगी।।

ना डर राह के अवरोधों से,तेरे
आत्मबल की कहानी उनके पास भी होगी।
हौसलों का दम भर तू,
तेरी मंजिल भी आसपास होगी।।

जब तक साँस से तेरा बंधन है।
बोल दे संघर्षों से उनका भी अभिनंदन है।।
ठोकरों से सूखती अपनी पलकों से बोल दे,
 तेरी आँखों में आशाओं के जल का अभिसिंचन है।।



रख ले तू अपने ही कंधों पर, 
सारे दुख दर्द और पीड़ाओं का भार।
चलना फितरत है तेरी,संग लेकर चल तू बोझ ये भी
टूटे ना हिम्मत तेरी, पड़े जब असफलताओं की मार।।

तेरे निरंतर परिश्रम से ही तेरे,
सपनों की दुनिया साकार होगी।
याद रखना सदा तू, जितना बड़ा संघर्ष होगा
जीत उतनी  ही शानदार होगी।।

लक्ष्य भी बड़ा हो तेरा,
तभी सफर का मजा आएगा।
संघर्ष किए बगैर तू जीवन का 
सुख कैसे जान पाएगा।।

गिर,उठ और फिर से चल 
यही क्रम जो दोहराएगा।
एक दिन जीतकर अपनी मंजिल
तू फिर बेशुमार मुस्कुराएगा।।



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