सफलता को खोज लाऊंगी - by Sudha Jain


 मैं जहां भी जाऊंगी अपना सर्वश्रेष्ठ दिखाऊंगी ,

नारी हूं मैं इस युग की अपनी अलग पहचान बनाऊंगी,

 कभी लिपटी साड़ी में ,कभी आधुनिक पहनावे में, अपने मन का करके ही मैं खुश रह पाऊंगी,

 दुनिया के इस रंगमंच पर अपना दमखम दिखाऊंगी,

 कठपुतली नहीं हूं अस्तित्व है मेरा, खुद परचम लहराऊगी,

एक रचनाकार बन सदैव नवसृजन करती जाऊंगी, 

किसी के ह्रदय की फांस में भी अपनी तरलता खोज लाऊंगी,

हो भले ही तिमिर कितना मैं निकलता सूरज खोज लाऊंगी,

हौसलों को अपने दिल में रख कर ख्वाहिशों को पूरा कर पाऊंगी ,

दृढ़ संकल्प शक्ति से बढ़ती और बढ़ती जाऊंगी ,

अपने उत्साह बल से हर बेड़ी को तोड़ते जाऊंगी,

चलती रहूंगी निज इष्ट पथ पर आशाओं को समेटती  जाऊंगी,

चाहे हो अवसाद घना, पर मैं सफलता को खोज लाऊंगी।



2 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता
    नारी तू महान है l
    नारी है तो कल है l

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