सफलता का अंदाज - by Sheela Dhomne


सफलता जीवन का विकसित परिणाम तथा ऊर्ध्वगामी क्रम दर्शाता है जिससे चारो ओर खूशियाँ छायी रहती है। समाज की विचारधारा सकारात्मक रहती है जो एक स्वस्थ समाज का शुभ संकेत है। इसीलिये  सफलता का सार्वजनिक पद्धती से सन्मान किया जाता है। (कूछ अपवाद भी होते है।) सफलता की सुगंध चारो ओर कर्म का प्रसार करती है तथा व्यक्ती की मानसिकता प्रबल रखती है। शरीर के अंदर हमेशा कूछ आनंद देनेवाले द्रव बनते रहते है जैसे डोपामाईन (Dopamine)। सफल व्यक्ती के शरीर में यह द्रव का प्रमाण अधिक होता है जिससे शरीरपर तेजस्वी भाव होता है और ऐसे व्यक्ति की ओर अन्य लोग आकृष्ट होते है, जिससे सफलता का दायरा बढता है। ऐसी ही एक सफलता की कहानी जिसने लीना का जीवन बदल दिया।


         लीना एक सूंदर और सूशील बेटी जो पढाई में भी प्रवीण होने की वजह से परिवार की लाडली रही। स्नातक होते ही एक पारंपारिक परिवार में ब्याह दी गई जहाँ बहूओं का घर से निकलना परंपरा के विरूद्ध था। अत: लीना मन मसोसकर चूप रही। संतांन के जन्म ऊपरांत ऊनके संगोपन में मग्न रही और अपना अस्तित्व को बिसार गई। फिर भी ऊसे कोई मलाल न था। कूछ वर्षोपरांत संताने अपने कार्यक्षेत्र में व्यस्त होकर  लीना को ढर्रेपर चलनेवाली गृहिणी संबोधकर मजाक ऊडाने लगे। घर के बूजुर्ग जो ऊसे विवाहपूर्व से जानते थे प्रेक्षक बन रह गये। लीना अंदर ही अंदर दु:खी रहती और अपने आपको कोसती रहती जिससे तबियत पर विपरित असर होने लगा। एक दिन अलमारी ठिक करते वक्त पापा की एक पुरानी चिट्ठी अलमारी से नीचे गिरी। पापा ने एक हिदायत लीना को दी थी कविता के माध्यम से,


"विद्या हमेशा जवां होती है ऊसपर ऊम्र की धूल नही पडती,

लाख पतझड आ जाये विद्या तबाह नही होती।

पहला पन्रा खोलो रचनाये तुमसे हंसकर है बतियाती,

ऊम्र का खयाल ना करना विद्याये नित सभी का है स्वागत करती."


      लीना ने अपने बेतरतीब बालो को ठीक किया ,एक स्टार्च की हूई साडी पहनकर आत्मविश्वास से भर   अपने आप को आईने में देख स्वाभिमान से भर ऊठी। कूछ ठान चूकी थी लिना पर क्या ? मायके में होशियार होने की वजह से अपने सभी भाई बहनों को लीना ही पढाती थी और सभी अव्वल आते थे। ऊसका पढाने का तरीका प्यार भरा होने से आसपडोस के बच्चे भी लीना के पास पढने आया करते थे। आत्मचिंतन से लीना ने स्वयं को मानसिक तौर से तयार किया। गूगल द्वारा सभी नये पाठ्यक्रमो की जानकारी निकाल अभ्यास किया। आठवी कक्षा के बच्चों मे दसवी मॅट्रिक को लेकर द्वंदात्मक स्थिती है तथा ऊसी समय लडकियो में विपरित लिंग का आकर्षण बढने से पढाई के मामले में ऊदासिनता नजर आई। इसी एक बात को ध्यान में रखकर ऊसने आठवी कक्षा की लडकियो के लिये ट्यूशन क्लासेस आरंभ किया। धीरे धीरे क्लास का मौखिक प्रचार प्रसार होने लगा तथा बेटीयों के पालक लीना की क्लास में भेजने के लिये आग्रह धरने लगे। लीना लडकियो को हंसते खेलते स्वयं सुरक्षा भी सिखाती तथा ऊनके हूनर पर प्रकाश डाल ऊन्हे अच्छाई की ओर अग्रसर करवाती जिससे पालक भी संतुष्ट थे। 


    अचानक एक दिन लीना की ट्यूशन क्लास मे आनेवाली बालिका पर एक छिछोरे लडके ने अश्लील हरकते करनी शूरू की परंतु लीना की बेटियों ने ऊसे धूनकर पुलिस के हवाले किया। 


     दूसरे दिन अखबार इसी खबर से रंगा हूआ था, पत्रकारों ने घर आकर लीना की दिल खोलकर स्तुती की। लीना की बेटिया आगे हर क्षेत्र में नाम कमा रही थी। उन्हीं में से एक थी रूखसाना जिसका विवाह एक परंपरागत परंतु ऊच्च पदप्रतिष्ठित युवक से हुआ। रूखसाना ने प्रथम दिन ही स्पष्ट कह दिया कि वह घर संभालते हूये बाहर अर्थार्जन भी करेगी। पती ने मंजूरी दी और पूछा कि इतने सौम्य तरीके से तूम कैसे बोल पाई तो रूखसानाने लीना मैडम का नाम लिया। रूखसाना के पती ने फोन पर लीना से बात की और प्रभावित हूये। ऊन्होने लिना को शिक्षा बोर्ड में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।


    वास्तविक रूप में सफलता के पिछे निरंतर अच्छाई की साधना होती है। असफलता से कूछ लोग मानसिक रोगी बन जाते है तो कूछ लोग वही से नई सफलता की सीढी चढते है जो एक आदर्श स्थापित करते है।


Writer:- Sheela Dhomne

From:- Nagpur, Maharashtra (India)

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