भारत मां के तीन शेर: भगत सिंह राजगुरु सुखदेव - by Swati Saurabh
भारत मां के तीन शेर:
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव
तैयार है फांसी का फंदा
पहन लो तुम अपना चोला
ज़िन्दगी का मौत से मिलन होगा
मानो यूं यम का प्रतिनिधि बोला
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव
सुनकर खुशी से झूम उठे
इंकलाब का नारा देश के
कोने कोने में गूंज उठे
मौत का नाम सुन तो
सबकी रूह कांप है जाती
मगर ये कैसी दीवानों की टोली
मुख पर तनिक सिकन भी ना आती
लेनिन की जीवनी पढ़ रहे भगत सिंह
बोले बस एक मिनट करो इंतज़ार
एक क्रांतिकारी को दूजे से
मिल तो लेने दो एकबार
चलो ठीक है अब चलते हैं
ऊपर की ओर किताब उछाल
मातृभूमि पर अर्पित होने
झूमते चले तीनों लाल
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सजी थी जिनके मौत की अर्थी
मस्त मलंग थे वो शेर
क्या होगा अंज़ाम सोच कर
डरे हुए तो थे अंग्रेज़
ऐ वतन तुझ पर सितम
अब ना सह सहेंगें हम
हंसते हंसते तेरे लिए
मौत को गले लगाएंगे हम
अपनी रक्त से सींच कर भी
महके आज़ादी का उपवन
ऐ मातृभूमि तेरे लिए हम
अर्पित करते हैं ये यौवन
ना मौत का डर आंखों में
ना तनिक भी मन डोला
हंसते हंसते लटक फांसी पर
क्रांतिवीर मौत का झूला झुला
पहना बसंती का चोला
जिसने आज़ादी को माना दुल्हन
मातृभूमि की अमन के लिए
जीत गया ज़िन्दगी की जंग
कितनी भाग्यशाली है वो मां
जिसने ऐसे वीरो को जन्म दिया
आज़ादी के इन मस्तानों ने
मौत को हंसकर गले लगा लिया
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