क्या है सफलता? - by Madhuri Verma


सफलता मनचाही सकारात्मक परिणाम की उपलब्धि है । दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि अपने मूल्यवान लक्ष्य की प्राप्ति ही सफलता है । इस संसार का प्रत्येक व्यक्ति जो भी कार्य करता है उसका परिणाम अपने पक्ष में चाहता है और पक्ष में होने वाले परिणाम से उसे आन्तरिक आनन्द की अनुभूति होती है । यह अलग बात है कि हर व्यक्ति का लक्ष्य एक नहीं हो सकता , क्योंकि यह एक चाहत है ,सबका एक सपना होता है जिसे वह अपने जीवन का एक अंग मानता है और उसे पूरा होता हुआ ही देखना चाहता है । पूरा न होने पर उसे बहुत कष्ट होता है और वह निराश हो जाता है क्योंकि यह ज़रूरी नहीं कि उसे हर बात में सफलता ही मिले । इसलिए सफलता पाने के कुछ नियम हैं या यों कहें कि सफलता बहुत आसानी से नहीं मिल सकती उसके लिए दृढ़ संकल्प करना होता है।


           मन में कुछ पाने की इच्छा हो तो उसको केवल चाहने से ही नहीं पा सकते उसके लिए उद्यम करना पड़ेगा क्योंकि बिना मेहनत किए उसे कभी भी नहीं प्राप्त किया जा सकता है परिश्रम करना सबसे पहली शर्त होती है ।शक्तिशाली से शक्तिशाली व्यक्ति भी उद्यम से ही कुछ प्राप्त कर सकता है , शेर  सबसे अधिक शक्तिशाली होता है परंतु उसे भी अपने आहार के लिए उद्यम करना पड़ता है कोई भी पशु अनायास ही उसके मुख में आहार बनकर नहीं चला जाता है उसे अपना शिकार स्वयं करना पड़ता है कुछ लोगों का मानना है कि कितना भी मेहनत कर लो सफल वही होता है जिसके भाग्य में लिखा होता है बिना भाग्य के कुछ भी प्राप्त नहीं होता लेकिन भाग्य के भरोसे कभी भी सफलता नहीं मिल सकती है सफलता पाने के लिए सबसे पहले अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा कि हमें क्या चाहिए उसी के अनुसार कर्म की दिशा तय करें।




सफलता पाने के लिए कुछ मूल मंत्र है जैसे-क्षमता और रुचि के अनुसार काम तय करें ,सही दिशा में मेहनत करें ,जुनून और पागलपन की तरह काम करना होगा ,चैन और नींद गंवाकर मेहनत करना होगा ,किसी सफल व्यक्ति को अपना आदर्श मान कर उसके अनुभव को आत्मसात करना होगा ,क़िस्मत के भरोसे नहीं रहना होगा ,असफलताओं से निराश नहीं होना होगा ,योजनाबद्ध तरीक़े से काम करना होगा ,तनाव से दूर रहना होगा ,नकारात्मक सोच नहीं होना चाहिए ,हार की संभावना पहले से ही न सोच बैठें ,समय की क़ीमत को समझें ,मन में उत्साह रखें और संघर्ष करें ।चाणक्य के अनुसार अपनी सफलता का रहस्य किसी को न बताए लोग फ़ायदा उठा सकते हैं या भटका सकते हैं । 


सफलता किसी की निंदा प्राप्त करके और न ही ग़लत कार्य शैली अपनाकर प्राप्त करने की चेष्टा करनी चाहिए । अपने कार्य के प्रति एक ललक और जुनून होना चाहिए । अगर इन सभी नियमों के अनुसार चलें तो निश्चय ही अपने कार्य में सफलता मिलेगी .कभी कभी बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती तो ऐसे में बस ये याद रखना चाहिए कि चलना है -जब तक मंज़िल मिल न जाए ,चाहे आँधी आए या तूफ़ान आए । कड़ी से कड़ी मेहनत करके ही बहुतों ने सफलता हासिल की है । कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सिद्ध नहीं होता । परिश्रम ही सफलता की कुंजी है ,परिश्रम करते रहने से असाध्य से असाध्य कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं । ईश्वर ने मनुष्य को सुन्दर और शक्तिशाली शरीर दिया हैऔर तीव्रता से चलने वाला दिमाग़ भी दे रखा है इसलिए उसे साहस और धैर्य के साथ अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहना चाहिए सफलता अवश्य मिलेगी भले ही कुछ देर हो जाए ।

 

Writer:- Madhuri Verma

From:- Varanasi, U.P. (India)

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