मैं सफल होकर आऊंगी - by Shalini Sharma
उतर पड़ी हूं कर्म युद्ध में
विफलता से ना घबराऊंगी
विपरीत हों परिस्थितियां कितनी
आशाओं के दीप जलाऊंगी
मैं सफल हो कर आऊंगी
मैं सफल हो कर आऊंगी
नहीं डरा सकता मुझको
अब ये तिमिर निशा का
स्वयं को ज्योतिर्मय करके
मैं प्रकाश पुंज बन जाऊंगी
मैं सफल हो कर आऊंगी
मैं सफल हो कर आऊंगी।
असफलताओं के भय को
हृदय से ना लगाऊंगी
कर्तव्य पथ पर बढ़ कर
कर्म ही करती जाऊंगी
मैं सफल हो कर आऊंगी
मैं सफल हो कर आऊंगी।
आत्मविश्वास की पहन ओढ़नी
स्वयं को सबल बनाऊंगी
अंतर्मन को जागृत कर
मैं नवचेतना लाऊंगी
मैं सफल हो कर आऊंगी
मैं सफल होकर आऊंगी।
Writer:- Shalini Sharma
From:- Etawah, U.P. (India)
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