सफलता की सीढ़ी - by Saroj Maheshwari


मानव जीवन की एक अलौकिक विशेषता है,वह जीवन पथ पर प्रगति की आकांक्षा रखता है।प्रत्येक व्यक्ति सफलता के सोपान को प्राप्त करना चाहता है।अब प्रश्न उठता है कि सफलता क्या है ?...लक्ष्य बनाना और लक्ष्य प्राप्ति हेतु अथाह परिश्रम,धैर्य,दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना फिर मंजिल तक पहुंच जाना ही सफलता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सफलता की परिभाषा भिन्न भिन्न हो सकती है। कुछ लोग शान्ति पूर्वक जीवन यापन करना, कुछ लोग निशदिन धनोपार्जन करना,कुछ लोग  ख्याति प्राप्त करना,कुछ लोग समाज सेवा ,राष्ट्र सेवा जीवन की सफलता मानते हैं।यह विषय भिन्न है।



           किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कठोर परिश्रम ,धैर्य,दृढ़ निश्चय की नितांत आवश्यकता होती है।सफलता के मार्ग में चुनौतियां तो अवश्य आती हैं,जो व्यक्ति उन चुनौतियों का सामना करके दृढ़ निश्चय के साथ जीवन पथ पर अग्रसर होता है सफलता उसके कदम चूमने में नहीं हिचकिचाती है। कष्टों की आग में तपने के बाद ही मनुष्य स्वर्णिम कंचन की तरह निखर कर आता है।अनेक महापुरुषों ने परेशानियों की ज्वाला में तपने के पश्चात ही विश्व में अपनी चमक को चमकाया।



               माना जाता है कि संघर्ष से ही विजय प्राप्त हुआ करती है।साहस का संचय करके आगे बढ़ने वाला व्यक्ति ही उन्नति का हकदार होता है।उसे अपने जीत पर भरोसा और अपनी ताकत पर अटूट विश्वास होता है। धैर्य से किए कार्य की भी विशेष भूमिका होती है।एक दिन में तो लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है इसके लिए लंबी यात्रा तय करनी पड़ती है अर्थात धैर्य रखना पड़ता है।मार्ग के कंटकों को धैर्य से दूर किया जा सकता है।




दृढ़ निश्चय....सफलता के मार्ग को प्रशस्त करता है। दृढ़ निश्चयी व्यक्ति को महान बनने से कोई नहीं रोक सकता। उसे पर्वत श्रृंखलाए भी मार्ग देने में अपना सौभाग्य समझती हैं।



                अथक परिश्रम के उपरांत यदि सफलता हस्तगत नहीं होती तो भी हमें निराश नहीं होना चाहिए । सफल होकर भी कभी कभी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण सफलता धराशायी हो जाती है।इसका उहाहरण एक नन्ही सी चिड़िया है ... एक चिड़िया तिनका जोड़ जोड़ कर बड़े जतन से घरौंदा बनाती है और अपने चूजों को सुरक्षित रखने का सपना सजोती है ,पर वर्षा की झड़ से जब उसका घरौंदा गिर कर धराशायी हो जाता है तो भी वह हिम्मत नहीं हारती है ।बड़े उत्साह और लगन के साथ फिर से घरौंदा बनाने जुट जाती है। कहने का तात्पर्य यह कि कर्मशील व्यक्ति के मार्ग में परेशानियां आती हैं परन्तु वह अपने लक्ष्य को विषम परिस्थितियों में भी प्राप्त करने का प्रयास करता है।उसे सफलता निश्चित तौर पर मिलती है।



                अंत में कहा जा सकता है कि एक सकारात्मक सोच के साथ जीवन पथ पर यदि आगे बढ़ा जाए तो दुष्कर लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है। अपनी ताकत को सचेत करके लक्ष्य बना कर सफलता पाने का भरसक प्रयास करना चाहिए।असफल होने की पीड़ा से धोखाधड़ी,बेईमानी से हस्तगत सफलता अस्थाई,अपावन होती है। असफलता भी कभी सफलता की सीढ़ी बन जाती है।उस सफलता से दिव्यता की अनुभूति होती है। मेरे विचार से पवित्रता, धैर्य,दृढ़ संकल्प,अथाह परिश्रम के साथ ही सफलता के द्वार तक पहुंचा जा सकता है और यह कहना भी अतिशयोक्ति न  होगा कि कर्मठता, दृढ़ इच्छशक्ति, लगन,सतत परिश्रम ही सफलता की सीढ़ी हैं।


Writer:- Saroj Maheshwari

From:- Pune, Maharashtra (India)

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