एकता - by S.P. Dixit


एकता


एकता है भाव अनुपम, बल एकता  में है अनंत ।

एकता में विघ्नों का हल,इस शक्ति का है न अंत ।।


एकता से जीवन उत्कृष्ट,एकता करे कष्ट निदान ।

सफलता- स्रोत एकता,एकता राष्ट्र स्पंदन-प्राण ।।


एकता से हो लक्ष्य सरल,एकता में शक्ति प्रबल ।

सब एक हों औ' नेक हों,तभी है प्रगति प्रतिपल ।।


प्रांजल हों अंतर्वर्ती भाव, हो  नेक विचार  संगम ।

प्रमुख आधार उन्नति का ,हिय हो एकता सरगम ।।


नेक अंतर्भाव और एकता,संपन्न जीवन केंद्र बिंदु ।

सदा एक जुटता सुविचार,उन्नयन के अथाह सिंधु ।।


एकाकी जीवन कांतिहीन,एकता से हंसे दिनमान ।

एकता का है बल प्रबल,एकता जय की  पहचान ।।

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