अतुलनीय भारत - by Madhuri Mishra "Madhu"


अतुलनीय भारत

-

अतुलनीय, भारत प्यारा है देश हमारा,

हम सबको लगता है, यह प्राणों से प्यारा,

भारतीय संस्कृति, आज जिसमें है समाई,

ऐसा पूजनीय है ये, प्यारा देश हमारा।


ऋषियों और मुनियों ने, वेदों की महिमा है गाई,

अनंत भाषाओं की महिमा, जिसमें है समाई,

बढ़ता रहे हमारे हिन्द देश का गौरव प्यारा,

देशभक्तों की जहाँ - जहाँ पड़ती है परछाई।


खुशियों और शुभता का,संचार जहाँ पर हो,

ना कोई दुखी ,और बेसहारा वहाँ पर हो,

ऐसे अप्रतिम भारत की अनुपम चाह लिए,

प्रगतिशील भारत, जग में न्यारा यहाँ पर हो।


विभिन्न नदियों के, संगम से है बना हुआ,

भाषाओं की विविधताओं में है, सना हुआ,

स्वर भारत माता का, रहता हरदम एक,

बलिदान की ,छलकत गागर से है भरा हुआ।


विभिन्न मौसम के हैं, त्योहार यहाँ पर,

दुर्गा, काली, शक्तिरूपेण स्त्रियाँ यहाँ पर,

शेरों की है अद्भुत ललकार लिए हुए वीर,

नम्रता से भी भरा हुआ है, आधार यहाँ पर।


मानो, मानव बहुत पुराना है, भारत का इतिहास,

वेद, पुराण, उपनिषदों का है, यहाँ पर वास,

वीरों की यही तो, जन्मभूमि है कर्मभूमि है,

सत्यम-शिवम-सुंदरम का,मिलता यहाँ आभास।


हे भारत तुमको मिलकर हम करते हैं प्रणाम,

सम्पूर्ण जगत में हो, हिन्द देश का अद्भुत नाम,

हिन्द देश की महिमा गाये, बच्चा बच्चा आज यहाँ,

जिससे प्रकट होगा, हमारा प्यारा हिंदुस्तान|


- माधुरी मिश्रा "मधु"

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

No comments

Powered by Blogger.