भारत माँ का सम्मान - by Saroj Maheshwari


भारत माँ का सम्मान

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आओ मिल करें भारत माँ का सम्मान,

लहर  लहर  लहराएँ  तिरंगा महान,

गगन में  चमकता सूरज  है जैसे,

दमके वैसे जग में भारत की शान।


भारतीय संस्कृति आदि अनंत महान,

आर्यावर्त ही सभ्यता का उद्गम स्थान,

सप्त स्वरों की थी यहाँ प्रथम झंकार,

मनु श्रद्धा की हम सभी तो हैं संतान।


उत्तर में हिमगिरि खड़ा बनकर दरबान,

बर्फीले शिखर लगें सौम्य रजत समान,

दक्षिण में जलनिधि पद पाखरे इसके,

कल कल करती नदियाँ करें गुणगान।


मिले विरासत में गीता,वेद और पुराण,

बाल्मीकि,व्यास मुनियों से अपार ज्ञान,

गणित,साहित्य,दर्शन के हम हैं ज्ञाता,

मिला हमें ही प्रथम आयुर्वेद का विज्ञान।


समानता दर्शाता है  हमारा  संविधान,

अनेकता में एकता देश की पहचान,

माला के विविध फूलों-सा अपना देश,

एक सूत्र में बंधना भारतीयता की शान।


षष्ठ ऋतुएं करती मौसम का निर्माण,

मानवता से उत्तम नहीं कोई  ईमान,

देश पर मर मिटाना वीरों का गौरव,

मेरा भारत! है मेरे तन मन के प्राण।


- सरोज माहेश्वरी

पुणे, महाराष्ट्र

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