उठो देश के वीर सपूतों - by Abhishek Vishwakarma
उठो देश के वीर सपूतों
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उठो देश के वीर सपूतों, दुश्मन ने ललकारा है,
अस्त्र-शस्त्र सब आज उठाओ, भारत माँ ने पुकारा है।
अपनी आज़ादी की लड़ाई, हम सबको ही लड़नी है,
दुश्मन कभी ना हावी होगा, गर हौसला बुलन्द हमारा है।
एक से एक सिकन्दर आए, चले गए सब भागे भागे,
लड़ने को तैयार रहो, दुश्मन भागेगा पीठ दिखा के।
जिस पर कर दें हम चढ़ाई, तिरंगा फहरा के आएँगे,
गोली सीने पर खाएँगे, पर पीठ नहीं दिखलाएँगे।
दुश्मन की हर गोली का जवाब, देना हम भी जानते हैं,
पर निहत्थे पे वार ना करना, ये भी हम मानते हैं।
दुश्मन भी यदि शरण में आए,उसको भी पानी पिलाते हैं,
वसुधैव कुटुंबकम् खातिर, सबको हम अपनाते हैं।
कैसी लीला फैली देखो, हर कोई एक दूजे को मार रहा,
सब यहीं का यहीं रहेगा, फिर कैसा वहम ये पाल रहा।
मिलकर सब कोई रहना सीखो, क्यों बांटे दीवारों को,
हर रिश्ते मजबूत बनाओ, जोड़ो प्यार के तारों को।
- अभिषेक विश्वकर्मा
हरदोई, उत्तर प्रदेश
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