मैं भारत हूँ - Acharya Dhananjay Pathak


मैं भारत हूँ

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मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ।

मैं भारत हूँ, मैं भारत हूँ।।


शून्य-दशमलव देने वाला;

दुष्यंत-शकुंतल का लाला;

जिसने शेर दंत को गीना,

भरत नाम अवधारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


सत्य-अहिंसा व्रत को धारा;

बौद्ध-जैन को श्रेष्ठ उचारा;

जड़ चेतन को देव रूप में,

तन-मन-धन से स्वीकारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


वसन गेरुआ धारण करके;

शस्य श्यामली वसुधा भर के;

निर्मल-स्वच्छ हृदय अपना कर,

बढ़ो चक्र सम उच्चारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


परमहंस-चाणक्य-विवेका;

पाणिनि-एकलव्य को देखा;

श्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन बनकर,

धनुष मेघ सम टंकारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


लक्ष्मी वीर शिवाजी राणा;

मोदी-गाँधी कीर्ति कलामा; 

परशुराम अभिनंदन सम ही-

दुश्मन को ललकारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


सूर तुलसी बाल्मीकि' कबीरा;

विदुर व्यास काली सम हीरा;

भरे पड़े समृद्ध साहित से,

विश्व पटल पर महिमारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


गंगा यमुना सरस्वती नद;

सिंधु गोद कावेरी नर्मद;

गंगासागर तीर्थ' रामेश्वर,

बनकर पाप पखारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


पादर पंडित गुरमत काजी;

सुमिरन दर्शन स्तुति' नमाजी;

विलग धर्म भाषा से अभिमत,

भाईचारा संचारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


लालकिला संसद तारांगन; 

ताजमहल अरु सुन्दरवन;

हवामहल उद्यान प्रपाती,

अन्न गोलघर भंडारत हूँ।।मैं भारत हूँ...।।


- आचार्य धनंजय पाठक

डालटनगंज, झारखण्ड

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