मातृभूमि को नमन - by Smita Virendra Joshi
मातृभूमि को नमन
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हे वत्सला माँ भारती इस मातृभूमि को नमन,
सुखदायिनी वरदायिनी इस जन्मभूमि को नमन।
युगों से होते रहे यहाँ
शोध कई विज्ञान के,
ऋषि मुनि उपदेश देते
योग जप तप ज्ञान के,
वसुधैव कुटुंबकम् का
मंत्र यह जिसने दिया,
विश्व गुरु बनकर जगत का
मार्गदर्शन भी किया।
अध्यात्म से आलोकमय इस देवभूमि को नमन,
हे वत्सला माँ भारती इस मातृभूमि को नमन।
रणबांकुरे जो इस धरा पर
प्राण अर्पण कर गए,
बलिदान की बलिवेदी पर
जो शीश अर्पण कर गए,
है नमन उस गोद को
जहाँ वीर थे ऐसे पले,
ध्वज में लिपट कर आ गए
कर्तव्य पथ से ना हिले,
साहस, समर्पण, शौर्यमय इस वीर भूमि को नमन,
है वत्सला माँ भारती इस मातृभूमि को नमन।
हिमगिरी जो है सदा से,
शीश की शोभा बना
सागर समर्पण भावना से,
चरण जिसके धो रहा
भूमि यहाँ सोना उगलती
वनस्पतियों से भरी,
नदियाँ सुधा जल से हमारे
प्राण पोषित कर रही,
आरोग्यमय, आनंदमय इस पुण्य भूमि को नमन,
हे वत्सला भारती इस मातृभूमि को नमन।
-स्मिता वीरेंद्र जोशी
डोंबिवली ईस्ट, महाराष्ट्र
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