मातृभूमि - by Ramakant Soni


मातृभूमि

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मातृभूमि जन्मभूमि, मात वीर वसुंधरा।
वंदन पावन धरती, कण-कण में साहस भरा।


शौर्य पराक्रम शूरता, लाल तेरे दिखलाते। 
सरहद पर तैनात सेनानी, गीत वंदे मातरम गाते।


फौलादी जज्बों से गूंजे, स्वर जय मात भवानी। 
अमर सपूतों ने अर्पण की, वतन पे जिंदगानी।


मस्तक तिलक माटी का, अरिदल से लोहा लेते। 
भारती जयकारों से, रण कौशल दिखला देते।


हिमशिखर थार मरुस्थल, बाधाओं को पार करें। 
मस्त बहारें वतन परस्ती, लाल तेरे जयकार करें।


राष्ट्र धारा में निशदिन बहते, राष्ट्र दीप जलाते हैं। 
देशभक्ति में झूमे नाचे, राष्ट्रगान गाते हैं।


गाँव-गाँव डगर डगर ,जोत देशप्रेम की जले। 
हे जन्मभूमि वंदन, माँ हम तेरे आँचल में पले।


- रमाकांत सोनीन

वलगढ़, राजस्थान

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